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The soul world - souls live with God shiva in Param-dham आत्माओं का घर जहाँ सभी आत्मा परमपिता परमात्मा के साथ वास करती हैं इसे ही परमधाम कहते हैं। |
He is the Trimurti - Creator of Brahma, Vishnu and Shankar.
( शिव पिता ब्रह्मा, #विष्णु, और शंकर के रचयिता त्रिमूर्ति हैं। )
To understand it, we must understand this world drama. As God shiva says, this world drama is divided into four yugs which are satyug, traitayug, duparyug and than last kalyug. Each yug is of 1250 years. Starts from satyuga and end with kalyuga but it repeats like the previous one again and again. Before the starting of satyuga and before the end of kalyuga, there is also one small yug comes and that is known as 'Purushotam Sangamyug'. In this small period of time, God shiva who never comes in the cycle of birth and re-birth, he comes on earth to give his real knowledge about himself and about the starting, middle and end of this world drama to mankind. He gave the knowledge to mankind about the soul, supreme soul, and about raj-yog. But as I wrote he never take birth so, he took the body of an old man but the purest soul among all souls and he gave him a name brhama-baba. Shiv pita gave his knowledge to humans through the body of brhama-baba. Yes, he is that same brhama about whom it is written in our hindu scriptures. So, by this way he creates brhama and that old man through the guidance of shiv pita started giving shiva's teachings to people. He taught people about rajyog which is a connection of soul with the supreme soul and it is the only way to settle our karmic account. God shiva says, this brhama's soul will take birth as sri-krishna in satyuga and those people who will recognize me as who I am and understand my knowledge as it is, they will be known as "brhama mukh vanshavali brhaman" and they will become deities in the kingdom of vishnu in satyuga. So, this is how Parampita Shiv creates Brhama and than by the teachings of Shiv Pita Brhama will become Sri-krishna in satyuga. Sri-krishna and laxmi both together known as Vishnu and this is how Shiv created a new world and the Deity Vishnu to rule that world of peace known as Satyuga. At the end of kalyuga Shiv pita also created 'Mahadev shankara' to end this evil world and shankar mahadev gave the knowledge of these material of mass destruction to mankind through which these humans will end this kalyuga. Shiv pita is the ocean of love and peace. he loves his all souls, it is our own karma which is giving us a pain and sorrow but not God shiva so, to blame God is not right but it is our karma and this is why he creates shankara to end this evil world he don't end this world by his own. he creates a new world called satyuga by changing the souls into a divine soul.
परमपिता परमात्मा शिव कैसे त्रिमूर्ति कहलाते हैं इसे समझने के लिए हमे इस समय-चक्र और इस वर्ल्ड ड्रामा को समझना पड़ेगा। जैसे प्यारे परमपिता परमात्मा शिव बताते हैं की यह वर्ल्ड ड्रामा यानि समय चक्र चार भागों मे बंटा हुआ है जो की सतयुग से शुरू होकर फिर त्रेतायुग मे आता है फिर दुपरयुग मे और फिर अंत मे कलयुग आता है तो यह पूरा समय चक्र चार युग मे बंटा है और हर एक युग १२५० वर्ष का है जो की हूबहू यूँ ही इसी तरह हर ५००० वर्ष मे चलता ही रहता है और सुदर्शन चक्र इसी को दर्शाता है। हिन्दू धर्म मे स्वस्तिक का भी यही असली अर्थ है जो की चार युगों को दर्शाता है जिसमे ऊपरी सीधे हाथ पर सतयुग फिर निचे त्रेतायुग फिर तीसरा उलटे हाथ पर निचे दुपरयुग और आखरी ऊपर उलटे हाथ पर कलयुग है। पर अब परमपिता शिव कैसे ब्रह्मा, विष्णु और शंकर की रचना करते हैं यह समझना जरूरी है। कलयुग के अंत से पहले और सतयुग की शुरुवात से पहले एक लिप युग जो की १०० वर्ष का होता है वह आता है जिसको पुरुषोत्तम संगमयुग कहा जाता है जिसमे परमात्मा और आत्माओं का संगम होता है। परमपिता परमात्मा जो की जन्म-मरण मे नहीं आते हैं वह एक वृद्ध मनुष्य के शरीर का आधार लेकर मनुष्यों को अपना दिव्या ज्ञान देते हैं और उस वृद्ध मनुष्य को प्यारे परमपिता शिव ही ब्रह्मा-बाबा नाम देते हैं। यह वही ब्रह्मा हैं जिनका उल्लेख वेदों और शास्त्रों मे ऋषि मुनियों ने दुपरयुग में किया हुआ है और लिखा हुआ है की वह धरती की रचना करते हैं पर इसका सही अर्थ यह है की ब्रह्मा बाबा परमपिता शिव का ज्ञान जिन मनुष्यों को देतें हैं वह ही मनुष्य नयी सृष्टि की रचा करते हैं जिसको सतयुग कहा जाता है इसका अर्थ यह हुआ की ब्रह्मा और ब्रह्मा मुख वंशावली ब्रह्मण ही सतयुग की रचना करते हैं इसीलिय बोला जाता है ब्रह्मा ने श्रिष्टि रची पर अर्थ यह हुआ की ब्रह्मा ने नयी सृष्टि रची जो सतयुग कहलाई और ब्रह्मा के तन दुवारा शिव पिता ने ही अपना दिव्या ज्ञान देकर जिन आत्माओं को दिव्या बनाया वह ही सतयुग मे देवता बनेंगी और विष्णु के राज्य मे जन्म लेंगी और वह ब्रह्मा ही सतयुग मे श्रीकृष्ण बनेंगे और माता लक्ष्मी और श्रीकृष्ण को ही विष्णु बोला जाता है इसी लिए उनके चार भुजायें दर्शायी जाती हैं। परमात्मा शिव ने ब्रह्मा द्वारा मनुष्यों को जो ज्ञान दिया वह ही दिव्या ज्ञान है और उसी ज्ञान के आधार पर हम अपना मन परमपिता परमात्मा शिव से लगाकर अपने पुराने जन्मों के खाते को ख़त्म कर सकते हैं और इस प्रक्रिया को ही राजयोग कहा जाता है। परमपिता परमात्मा अपने सभी बच्चों यानि सभी आत्माओं से बेहद प्यार करते हैं इसीलिये यह कहना गलत होगा की शिव इस धरती का विनाश करते हैं पर शिव पिता शंकर की रचना करते हैं और यही शंकर इन मनुष्यों को प्रेरित करते हैं जिसे वह यह सब बोम्ब्स आदि बनाते हैं जिससे विनाश होना है। पर यह ज्ञान समझने का अर्थ तभी है जब हम परमात्मा से अपना मन लगाकर उस परमात्मा से अर्जित योग बल से अपने पुराने विकर्मों को विनाश करें और उसे ही राजयोग कहा जाता है। अगर आप यह जानना चाहते हैं की राजयोग क्या है तो हमारे किसी नज़दीकी ब्रह्मा कुमारिस संस्था केन्द्र पर जाकर आप राजयोग सीख सकते हैं और इसके लिये आप से कोई पैसा आदि यही लिया जायेगा। यह ज्ञान और यह राजयोग सभी ब्रह्मा कुमारिस केन्द्रों पर निशूलप ही सिखाया जाता है। ज्यादा जानकारी के लिए आप यह ब्लॉग्स भी पढ़ सकते हैं।
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Parampita shiv is the creator of brhama, vishnu and shankar परमपिता शिव ही ब्रह्मा, विष्णु और शंकर के रचयिता त्रिमूर्ति हैं। |
He takes the boat of life across. ( परमपिता शिव जीवन नैया को पार ले जाने वालें हैं। )
As I wrote above and as God Shiva says, my dear sweet children, now time has come to end up this world drama, kalyug comes to its end stage. In satyuga and in traitayuga you were free from the pain and sorrow, you lived there in the state of soul consciousness, everyone was happy there and you all were deities in those two Yugs but when duaparyug came, you become body conscious and forget that you were devtas in Satyuga and in Traitayuga. You forget that you are souls at that time in duparyuga and because of that you came under the attack of five vices of maya which are lust, rage, greed, attachment and ego. Because of that you were degraded with many births and no kala (गुण) left in you till now. You all were degraded so much that now you all forget that you all are brothers because you all are souls and I'm your father the almighty God the shiva. You all forget that you all have seven basic qualities and those are love, peace, happiness, bliss, purity, truth and powers. Now, when time has come to an end, I came to realize you all your actual powers, I came here to save you all from the pain of this life. I came to liberate your soul from this evil world. I came here to take you life's boat across from this evil world. You have to recognize me, you all have to do what I says, you all have to finish your karmic account by keeping me in your thoughts, just think of me. Do meditate in my thoughts and this yog will finish the marks of vices on from your soul which your soul got in many of its previous births and your soul will become pure and will come in satyuga again. I'm the only father, I'm the only God and no other than me can help you because all others are humans but I'm your father, the supreme soul, the God, the Sadguru, the Liberator, the Saviour, the Almighty and my name is Shiv, the father of all souls.
जैसे मैंने ऊपर लिखा भी है और प्यारे परमपिता शिव कहते भी हैं, मेरे प्यारे बच्चों, अब समय आ गया है जब यह दुनिया ख़त्म होनी है। अब समय आ गया है जब यह कलयुग और यह ड्रामा ख़त्म होने वाला है। तुम ही मेरे बच्चों सतयुग और त्रेतायुग में राज करते थे, दुःखों और दर्द से दूर थे वहां कोई दुःख होता ही नहीं है, वहां तुम आत्म-अभिमानी इस्थिति में रहते थे, वहां सभी सुखी और शांत थे, वह दुनिया ही शांति की होती है। लेकिन जब दूापरयुग आया तो तुम आत्माओं ने जन्म ले लेकर यह भूल गए की तुम ही वह देवता थे, तुम एक आत्मा हो और इसी वजह से माया के पांच विकारों, काम, क्रोध, मोह, लोभ, अहंकार में आकर तुम और ही तमोप्रधान बनते गए और तुम मनुष्य वृद्धि को पते गए। अब जब मनुष्य अपने कर्मों की वजह से इस कगार पर आ गया है की वह एक दूसरे को ख़त्म कर देना चाहते हैं तो मे इस धरती पर आता हूँ तुम आत्माओं की जीवन नईया को पार लगाने, अब जब तुम आत्मा यह भूल गयी हो की तुम्हारे सात गुण क्या हैं तो मे वह तुम्हे याद दिलाने आया हूँ की तुम एक आत्मा हो जिसके यह सात गुण होते हैं - शांति, प्रेम, आनंद, सुख, शुद्ध्त्ता , सचाई, और शक्तियां। अब तुम्हे मुझे पहचानना है और मुझे याद करके अपने पुराने कर्मों के खाते को समाप्त कर दुबारा शुद्ध आत्मा बन मेरे साथ शांतिधाम चलना है। मे ही तुम आत्माओं को इस कलयुग से निकाल कर जीवन मुक्ति दिलाने आया हूँ और मेरे सिवाय कोई भी गुरु संत मनुष्य आदि तुम्हे इस कलयुग से नहीं निकाल सकता। अब समय आ गया है की मुझे पहचानो और मेरे ज्ञान को बुद्धि मे अर्जित कर उस ज्ञान के आधार पर मुझ से अपने मन को जोड़ अपने कर्मों को विनाश कर कर्मातीत अवस्था को पा कर मेरे साथ फिर अपने मूल वतन मे चलो। मे ही तुम्हारा पिता परमेश्वर हूँ। मे ही तुम आत्माओं का पिता हूँ और मुझे ही शिव कहते हैं। मे ही तुम्हारा उद्धार कर सकता हूँ, मे ही तुम्हे इस कलयुग से निकाल के सतयुग मे भेज सकता हूँ। अब इस विकारी दुनिया के आकर्षण से अपनी बुद्धि को निकाल कर तुम्हे मेरे साथ शांति धाम मे चलना है तो मुझे एक परमपिता शिव को याद करो।
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परमपिता परमात्मा शिव की याद से ही यह जीवन नैया पार हो सकती है। Only god shiv's light can take our life's boat across. |
Shiv pita is the Highest on High Father, Highest on High Teacher and the Highest on High Guru. ( शिव पिता परमपिता, परम-शिक्षक, व सद्गुरु हैं। )
God Shiva, Parampita Parmatma Shiv is the highest on high father, because I'm not this mortal body which one day will mix again in the five elements of this universe, it will mix in earth, water, air, universe and fire. isn't it? So, you think you are this body. Actually we are not this body but a point less immortal soul who lives since eternity, since ever. Souls never die. They exist always. So, every human have one soul in their body. So, we all souls are same and actually by this body's relation, someone could be our father or mother or brother or sister but if we feel our actual identity which is immortal soul and that is our true identity, there is only one father and he is God Shiva. So, he is our father, he is our true God father, He is our father who loves us unconditionally, he is our father who's love is pure attachment and only his love is pure, free from any expectations. he is my father, your father, and the father of all souls.
परमप्रिय प्यारे ते प्यारे परमपिता परमात्मा शिव ही हमारे परमपिता हैं। क्योंकि में यह शरीर नहीं हुईं बल्कि एक आत्मा हुईं जो कभी नहीं मरती पर मेरा यह शरीर एक दिन जिन पांच तत्वों से मिलकर बना है उसमे ही मिल जायेगा, एक दिन यह धरती, जल, वायु आकाश, अग्नि मे मिल जाना है। तो मे यह शरीर तो नहीं हुईं और न ही आप लोग यह शरीर हो। हम एक ज्योति बिंदु स्वरूप आत्मा हैं जो अनंत से अन्नंत तक रहेगी, आत्मा कभी नहीं मरती। हर मनुष्य में एक आत्मा है। इसीलिए हम सब आत्मा भाई भाई हैं। इस शरीर के नाते हमारा कोई पिता, माता, भाई, बहन हो सकते हैं पर आत्मा जो हमारा असली सवरूप है उसके नाते हम सब परमप्रिय परमपिता परमात्मा के बचे हैं। वह शिव कहते हैं, मे ही तुम्हारा परम-पिता हूँ, वह ही हमारा पिता है जो हमे बोहोत प्यार करता है जिसका प्रेम अतुलनीय है। जिसका प्रेम सुद्ध मोह है और सिर्फ़ उस एक पिता शिव का प्रेम ही सुद्ध है, उसके प्यार में हम से कोई चाहत नहीं है। वो मेरा पिता शिव है, आपका पिता है, और हम सब का एक परमप्रिय परमात्मा परमपिता शिव हैं।
God Shiva is the highest on high teacher and highest on high guru, because the knowledge he gives to all souls, no other teacher or human or anyone can give. This is divine knowledge and only divine supreme soul Shiv pita can give this knowledge to us because he knows everything, he never comes in the cycle of birth-rebirth so, he knows the starting, middle and end of this world. No other than God Shiva can able to know this without Shiv pita himself. Because every other teacher or guru are just soul not God irrespective of how big that teacher or Guru could be. He says, I'm giving you this knowledge directly through the body of Brhama so, not only I'm your father, but your guru and your teacher as well. I'm giving you the divine knowledge so, no other than me can give you such divine knowledge so, no one is as big teacher or guru or father as I'm. So, God shiva says, my sweet children, just think of me and only me, if you have doubt, get this knowledge, it has all answers, it will remove your all doubts, it will clear your mind and this knowledge will help you to connect your intellect with me. I'm your father, your guru and your teacher. I'm the only one who can liberate your soul from this evil world without any pain and suffering. The way is simple and that is Rajyog. Just think of me. Simple it is.
परमपिता ही परम शिक्षक और परमसद्गुरु भी है, क्योंकि जो ज्ञान वह हमे देते हैं कोई भी गुरु, महात्मा, संत, हिक्षक आदि हमे नहीं दे सकते। यह दिव्य ज्ञान है और सिर्फ परमप्रिय परमपिता शिव जो दिव्य हैं वही हमे यह दिव्य ज्ञान दे सकते हैं क्योंकि वह सर्वज्ञाता हैं। वो कभी जन्म-मरण के चक्र में नहीं आते इसीलिए उन्हें इस सृष्टि के आदि मध्य और अंत का पूरा ज्ञान रहता है। शिव पिता के आलावा किसी को यह ज्ञान हो ही नहीं सकता जब तक वह खुद यह ज्ञान न दें। जो वह अब कलयुग के अंत से पहले खुद ब्रह्मा तन द्वारा दे रहे हैं। परमपिता शिव से बड़ा कोई गुरु कोई शिक्षक हो ही नहीं सकता क्योंकि वह ही एक परमपिता परमात्मा है और बाकि तो चाहे कितना बड़ा गुरु हो पर रहेगी तो आत्मा न जो जन्म-मरण के चक्र में आती रहेगी तो वह परमपिता शिव ही सबका परम शिक्षक या परम सद्गुरु हो सकते हैं। वह कहते हैं, में ही तुम आत्माओं को यह ज्ञान ब्रह्मा तन द्वारा देता हूँ, तो में न तुम्हारा पिता हूँ बल्कि तुम्हारा शिक्षक और गुरु भी हूँ। तो प्यारे परमपिता शिव कहते हैं प्यारे बच्चों, सिर्फ मेरे बारे में सोचो, अगर कोई संशय है तो में यह ज्ञान ब्रह्मा कुमारिस संस्था द्वारा दे रहा हूँ, यह ज्ञान अर्जित करो, यह ज्ञान तुम्हारे सब संशय को मिटा देगा, यह ज्ञान तुम्हारी बुद्धि से सब व्यर्थ संकल्पों को मिटा देगा और तुम्हारे बुद्धि को मुझ में लगाएगा। वह आगे कहते हैं की में ही परमपिता तुम्हारे आत्मा को मुक्ति जीवन्मुक्ति दे सकता हूँ इस कलयुग से बिना किसी दुःख दर्द के। उसका रास्ता सहज है सिर्फ मुझे याद करो वह ही सहज राज-योग है।
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Shiv pita is the Highest on High Father, Highest on High Teacher and the Highest on High Guru परमप्रिय शिव पिता ही परमपिता, परम-शिक्षक और परम-सद्गुरु हैं।
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He is above Birth and Death.
( शिव पिता जन्म-मरणं से नियरे हैं। )
Parampyare Parampita Shiv says, my dear sweet children, you all are souls and you have seven basic qualities which are 'love', 'Peace', 'Happiness', 'Bliss', Purity, 'Powers', and 'Truth'. You all forget these qualities because you have taken many births on this world drama since you went on earth from your eternal home. I'm the god, the almighty, the father of all souls and you all call me by many names in many different religions. I'm the only one who never goes in the cycle of birth and re-birth. Except me, all souls even of Sri-krishna's soul would go in this time cycle. I'm the only God and I never take birth on this world drama so, I never lose my powers although I'm the source of all of your eternal powers and you all souls receive those virtues of 'love', 'peace', 'bliss', 'happiness', 'purity', 'powers' and 'truth' from me only because I'm the only source. My sweet children, now when this world drama is about to an end, I came here on earth to give my introduction to all souls. I gave my divine knowledge through the body of Brhama and this knowledge will make your mind divine and on the basis of that divine mind, you can easily make a link of your soul through your intellect with me and you'll receive my virtues 'love', 'peace', 'bliss', 'happiness', 'purity', 'powers' and 'truth' which will make your soul pure and my light will finish the marks of vices on your soul which your soul has got since duparyuga because since duparyuga you souls were body conscious and not soul conscious which you were in traitayuga and in satyuga. This is how you all souls can settle your karmic account and I'm the only one who can liberate your soul from this kalyuga.
प्यारे परमपिता परमात्मा शिव कहते हैं की मेरे प्यारे बच्चों, तुम सभी मेरे बच्चे आत्माएं हो। तुम सभी में सात गुण होते हैं जो हैं शांति, प्रेम, सुख, आनंद, शुद्धता, सच्चाई और प्यूरिटी। तुम सभी आत्मा जन्म-मरण के चक्र में आकर तमोप्रधान बन जाती हो और अपने सभी गुण भूल जाती हो, पहले पहले सतयुग और फिर त्रेतायुग में तुम आत्मा सभी गुणवान होती हो पर जब दूापरयुग आता है तो तुम सभी आत्मा यह भूल जाती हो की तुम आत्मा हो और शरीर भान की इस्थिति में तुम सभी आत्मा दुखी होती जाती आती हो और काम, क्रोध, मोह, लोभ, अहंकार सब विकार तुम पर हावी होते जाते हैं जिससे तुम अब इतनी क्षीण बन गयी हो की तुम में कोई गुण नहीं बचा है। में इसी समय जो कलयुग के अंत और सतयुग से पहले का जो यह समय है में इसी समय अब धरती पर ब्रह्मा तन का सहारा लेकर तुम आत्माओं को अपना ज्ञान देता हूँ जिससे तुम आत्मा फिर दिव्य बन दैवीय गुण धारण कर दुबारा सतयुग में आ सकती हो। सिर्फ मेरे सिवाय सभी आत्मा धरती पर अपना पार्ट बजाने जाती हैं पर में एक तुम सब का पिता शिव कभी जन्म-मरण में नहीं जाता, अब जब तुम यह सब जान गए हो तो तुम सब को सिर्फ मुझ से अपना मन लगाकर अपने कर्मों को विनाश करना होता है जिससे तुम इस धरती पर अपने कर्मों को दुःख के रूप मे न भुगतो बल्कि योग बल से अपने विकर्म विनाश करो और विनाश से पहले अपने शांति धाम मूल वतन में चलो। जाना तो सभी आत्माओं को वहीँ है पर सभी शुद्ध बनकर ही वहां जा सकती हैं और शुद्ध वह तभी बन सकती हैं जब वह अपने कर्मों के खाते को भोग कर या योग कर समाप्त करेंगी। सिर्फ मेरे ध्यान से तुम मुक्ति-जीवन्मुक्ति को पा सकते हो। मुझ से ध्यान लगाने को ही राजयोग कहा जाता है।
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we souls take re-birth till the end of kalyuga but God shiva is above birth and re-birth. he never take birth. हम आत्माएं जन्म और मरण के चक्र में आती हैं पर प्यारे परमपिता कभी जन्म-मरण के चक्र में नहीं आते, वह जन्म मरण से न्यारे हैं। |
He is the ocean of love.
( शिव पिता प्रेम के सागर हैं। )
God Shiva says I'm the source of love, but not this love of humans which is attached with the expectations. If father loves his children, he expect his children will take care of him when he will become old. In this world, every human have love for some one but that is attached with expectations. Pure love means which is free from any expectations. If boy loves his girlfriend he surely would expect from her that she would live her life with him. isn't it ? that is not pure love. Now listen what God shiva says, God shiva says my dear sweet children, I'm your father, you have an eternal quality of love in your soul which you lose because of your many births on this earth. And because of this tendency of losing the eternal powers, you become empty from your eternal qualities because of many births you have taken, now when this whole world drama will about to an end, when this kalyuga came to its last stage, I came on earth to give my divine knowledge. I'm the source of all of your eternal qualities. I'm the source of love, the pure divine love. To get this love from me is very simple. Just think of me and feel that this divine pure love coming to you from me, practice it daily, this is Rajyoga. By this way your soul will become pure and your intellect will be full of love. it is the thing not to be said only but it is the process of linking the soul with shiva and experience his love coming to us. do it, you will feel his grace, you will feel his divine love.
परमप्रिय प्यारे परमपिता शिव कहते हैं की में ही प्यार का सागर हूँ, पर वह यह प्यार नहीं है जो सभी मनुष्य एक दूसरे से शरीर भान की इस्थिति में करते हैं क्योंकि वह प्यार तो किसी न किसी चाहत से जुड़ा है। मान लीजिए अगर पिता पुत्र को प्यार करता है तो वह पिता यह सोचता है की यह मेरा पुत्र मुझे भुड़ापे में सहयोग करेगा। इसी तरह इस दुनिया में हर मनुष्य किसी न किसी से प्रेम करता है पर वह शुद्ध प्रेम नहीं है बल्कि वह प्रेम किसी न किसी भावना या चाहत से जुड़ा है। यह सब शुद्ध प्रेम नहीं कहलाता। हम आत्मा आज इस जन्म में किसी की पुत्री या किसी का बैठा हो सकता हूँ या कोई मेरा पुत्र या कोई मेरे पुत्री या पत्नी हो सकती है पर हर जन्म में यह रिश्ते मेरे बहुत आत्माओं के साथ रहे हैं पर पुनर्जन्म के वजह से मे वह सब भूल गया और इन्ही शारीरिक नातों को अब मे सही मान बैठा हूँ पर यह तो सिर्फ इस जन्म में साथी हैं पर में तो एक चेतन आत्मा हूँ। परमप्रिय परमपिता परमात्मा शिव बताते हैं की मेरे प्यारे बच्चों, में इस जन्म-मरण के चक्र में नहीं आता हूँ इसलिए मे परमात्मा कहलाता हूँ। में प्रेम का सागर हूँ, जब कलयुग के अंत में तुम आत्मा अपनी यह मूल शक्ति प्रेम बिलकुल ही खो देते हो तो में इस धरती पर आकर तुम्हे राजयोग का पाठ पढ़ाता हूँ जिससे तुम मेरे प्रेम से अपनी आत्मा को तृप्त कर पवित्र बनते हो और मुक्ति-जीवन मुक्ति को पाते हो। इस प्रेम को मुझ से ग्रहण करने का सहज उपाय ही राजयोग है इसका अर्थ है की तुम आत्मा जब अपने मन को सब चीज़ों से निकाल कर मुझ से प्रेम पूर्वक लगाते हो तो में तुम आत्माओं को अपने प्रेम से तृप्त कर देता हूँ और इसी से ही तुम आत्माओं का मन शीतल और प्रेम से परिपूर्ण होता जाता है। यह प्रेम शब्दों में नहीं बयां किया जा सकता बल्कि यह प्रेम तो महसूस किया जाता है। आप यह योग करके खुद देखें और आपको महसूस होगा की परमात्मा का प्रेम आप को मिलता जा रहा है। ज्यादा जानकारी के लिए आप किसी नज़दीकी ब्रह्मा कुमारिस की संस्था पर यह ज्ञान निशुल्क प् सकते हैं या कृपया यह ब्लॉग आगे पढ़ें।
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God shiva is the ocean of love प्यारे परमपिता परमात्मा शिव ही प्यार के सागर हैं।
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- He is the timeless form. ( शिव पिता अकालमूर्त हैं। )
- He is the Bestower of #Liberation and Liberation-in Life. ( शिव पिता मुक्ति-जीवन्मुक्ति के दाता हैं। )
- He is the Remover of Sorrow and the Bestower of Happiness. ( शिव पिता दुःख हर्ता सुख करता हैं। )
- He is the Seed of the human world tree. ( शिव पिता मनुष्ये स्रिष्टि रूपी वृक्ष के बीज रूप हैं। )
- He is the Knower of the Deep Philosophy of Karma. ( शिव पिता कर्मों की गति को जानने वालें हैं। )
- He establishes the Golden Age through Brahma. ( शिव पिता ब्रह्मा दुवारा सतयुगी सृष्टि की स्थापना करतें हैं। )
- He is the Resident of the Brahm Element. ( शिव पिता ब्रह्म लोक के वासी हैं। )
- He destroys the devilish world through Shankar. ( शिव पिता शंकर दुवारा आसुरी सृष्टि का विनाश करतें हैं। )
- He is the Truth, the Sentient Being, the Embodiment of Bliss. ( शिव पिता सत चित आनंद सवरूप हैं। )
- He is the Ocean of the Nectar of #Knowledge. ( शिव पिता ज्ञानमूर्त के सागर हैं। )
- He makes the Stone Intellects into Divine Intellects. (शिव पिता पत्थर बुद्धि वालों को पारस बुद्धि प्रदान करतें हैं। )
- He makes human beings into Narayan. ( शिव पिता नर को नारायण बनतें हैं। )
- He is the Bestower of Happiness. ( शिव पिता सर्व-आत्माओं के सुख के दाता हैं। )
- He is the Bestower of Salvation. ( शिव पिता सर्व के सद्गति दाता हैं। )
- He is the Purifier. ( शिव पिता पतित पवन हैं। )
- He is the Bestower of Divine Intellect. ( शिव पिता दिव्य बुद्धि के दाता हैं। )
- He is the Bestower of Peace. ( शिव पिता शांति के दाता हैं। )
-He is Detached from Happiness and Sorrow. ( शिव पिता सुख-दुःख से नियरें हैं। )
-He is the Ocean of Bliss. ( शिव पिता आनंद के सागर हैं। )
- He is the Knower of the beginning, the middle and the end of the time cycle. ( शिव पिता सृष्टि के आदि मध्ये
अंत के ज्ञाता हैं। )
- He Frees us from the Claws of Death. ( शिव पिता काल के पंजे से छुड़ाने वालें हैं। )
- He is the Point of light, the Embodiment of Light. ( शिव पिता बिंदु रूप ज्योति सवरूप हैं। )
- He is the Controller of Divine Vision. ( शिव पिता दिव्य दृष्टि विधाता हैं। )
- He is the Store-House of all Virtues. ( शिव पिता गुणों के भण्डार हैं। )